ग्वालियर 14 फरवरी। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार की महत्वकांक्षी सोच "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" की प्रशासन के कुछ अधिकारियों की वजह से धज्जियां उड़ती नजर आ रही है। क्योंकि मध्य प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि प्रदेश की बेटियां सुरक्षित हो एवं शिक्षित हो, लेकिन प्रशासन में बैठे कुछ अधिकारियों की उदासीनता के कारण सरकार का यह प्रयास विफल होता नजर आ रहा है। प्रदेश में कुछ ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं जिसमें बेटियों के साथ दुष्कर्म जैसी घटना को अंजाम देने के बाद अपराधियों द्वारा उन्हें लगातार डराया धमकाया जा रहा है।जिसमें पुलिस की भी उदासीनता भी सामने आ रही है
त्रिफला के लिए क्लिक करें -https://aapkabizwellness.com/
आपको बता दें कि रानी जाटव (परिवर्तित नाम) के साथ लगभग 1 माह पूर्व कुछ लोगों के द्वारा सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। जिसकी शिकायत पीड़िता के द्वारा ग्वालियर के बहोड़ापुर थाने में दिनांक 01/11/21 को FIR दर्ज करवा दी गई थी पुलिस के द्वारा 376, SC,ST एक्ट आदि धाराओं के तहत एफ आई आर दर्ज कर ली गई थी लेकिन पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई ऐसा ठोस कदम नहीं उठाया गया जिसे आरोपी आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। आरोपियों में कुछ ऐसे भी आरोपी हैं जो शासकीय कर्मचारी हैं और उच्च पद पर पदस्थ हैं आरोपी अपने उच्च पद का लाभ उठाते हुए आज भी शासन को सेवाएं दे रहा है और तरह तरह की धमकियां भी पीड़िता व पीड़िता के परिजनों को दी जा रही हैं जिससे पीड़िता व पीड़िता का परिवार बहुत भयभीत है।
न्याय पाने के लिए पीड़िता पहुंची ग्वालियर कलेक्टर के समक्ष
आरोपियों द्वारा दी जा रही धमकियों से व्यथित होकर एवं पुलिस प्रशासन के द्वारा सहयोग न किए जाने से दुखी पीड़िता के द्वारा आज दिनांक 14/02/21 को कलेक्टर महोदय ग्वालियर के समक्ष गुहार लगाई गई है पीड़िता के द्वारा दिए गए आवेदन बताया गया है कि रामनिवास धाकड़, हाकिम सर, राकेश सर, आवेश धाकड़ के द्वारा मुझ पीड़िता के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया जिसकी शिकायत मेरे द्वारा बहोड़ापुर थाने में दर्ज करवा दी गई थी। बहोड़ापुर पुलिस के द्वारा 376 एवं हरिजन एक्ट आदि धाराओं के तहत अपराध क्रमांक 793/2021 दर्ज कर मामला विवेचना में ले लिया था। लेकिन आज दिनांक तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है जबकि एक आरोपी रामनिवास धाकड़ नयाव तहसीलदार के पद पर रौन/लहार में पदस्थ है
मध्य प्रदेश सिविल सेवा अधिनियम 1966
मध्य प्रदेश सिविल सेवा अधिनियम 1966 में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई शासकीय कर्मचारी /अधिकारी के विरोध किसी डंडिक अपराध के संबंध में मामला अन्वेषण, जांच या परीक्षण के आधीन हो तो ऐसे अधिकारी/ कर्मचारी को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए पर ऐसा किया नहीं गया है
यह भी पढ़ें