एक पैसा जमा करता रहा, दूसरा पीएम ने जमा कराएं सोचकर निकालता रहा


एक पैसा जमा करता रहा, दूसरा पीएम ने जमा कराएं सोचकर निकालता रह


 भिंड 22नवंबर (ए)। भिंड के एक शख्स ने पीएम मोदी के चुनावी भाषणों को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया। इसकारण उस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि इसमें कहीं हद तक बैंक की गलती भी है। दअसल, एक ही नाम वाले दो व्यक्तियों का खाता बैंक ने एक नंबर से खोल दिया।एक शख्स बैंक में पैसे जमा करता रहा और दूसरा जाकर उस निकाल लेता था। मामले का खुलासा होने पर पैसे निकालने वाले व्यक्ति ने कहा कि मुझे लगता था कि मोदी सरकार मेरे खाते में पैसे डाल रही है और मैं अपनी जरूरत के मुताबिक पैसे निकाल लेता था। 


पूरा मामला भिंड के आलमपुर में स्थित एसबीआई बैंक की एक शाखा का है। ग्राम रूरई निवासी हुकुम सिंह कुशवाहा अधिक पढ़ा लिखा नहीं है, वह अपना परिवार पालने के लिए हरियाणा में गोलगप्पे का ठेला लगाता है। वर्ष 2016 में उसने आलमपुर स्थित एसबीई बैंक में अपना खाता खुलवाया था। इसके दो साल बाद ही दबोह के पास स्थित ग्राम रोनी निवासी हुकुम सिंह बघेल ने भी इसी शाखा में अपना खाता खुलवाया। इस दौरान बैंक की लापरवाही के चलते दोनों व्यक्तियों को एक ही खाता नंबर दे दिया गया। हुकुम सिंह कुशवाहा खाता खुलवाकर अपना रोजगार करने हरियाणा चला गया। जब भी वह घर आता तब अपनी कमाई से बचाए हुए पैसे खाते में जमा करवा आता। उधर, रोनी निवासी हुकुम सिंह बघेल बैंक पहुंचकर पैसे निकाल लेता। 


हुकुम सिंह कुशवाहा ने बताया कि वह एक प्लॉट लेने की तैयारी कर रहा था। इसी सिलसिले में 16 अक्टूबर को उसने बैंक जाकर अपने खाते की स्थिति देखी तब दंग रह गया। हुकुम सिंह के मुताबिक उसने खाते में 1 लाख 40 हजार रुपये जमा कराए थे जिसमें केवल अब 35 हजार 400 रुपये बचे हैं। बैंक मैनेजर और वहां के बाबुओं से उसने इस बात की शिकायत भी की लेकिन बैंक के स्टाफ ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और बात को दबाने का प्रयास किया। वहीं जब दूसरे खाता धारक रोनी निवासी हुकुम सिंह बघेल से बात की गई तो उसने कहा कि मैंने अपने खाते से पैसे निकाले हैं। मैं पैसे वापस क्यों करूंगा। उसने कहा कि मुझे लगाता था कि पैसे मोदी सरकार ने खाते में डलवाए हैं। इसलिए मैंने पैसे निकालकर खर्च कर दिए। बैंक प्रबंधक राजेश सोनकर ने कहा कि उन्होंने हुकुम सिंह कुशवाह को उसके पैसे वापस दिलवाने का भरोसा दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या एक गरीब व्यक्ति के पैसे वापिस आते हैं या वह बैंक के चक्कर ही लगाता रह जाएगा।