मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर ने जारी की डेंगू की एडवाईजरी

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर ने जारी की डेंगू की एडवाईजरी 



जिला मलेरिया अधिकारी श्री मनोज पाटीदार ने बताया कि आने वाले समय में मलेरिया एवं डेंगू से बचाव हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर डॉ.व्ही.के.गुप्ता ने आमजन के लिये एडवाईजरी जारी की है जिसमें उन्होने बताया कि


डेंगू एक विषाणु जनित गंभीर बीमारी है। संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से hi फैलती है। ‘ब्रेक बोन फ़ीवर’ के नाम से भी जानी जाती है। इसके लक्षण मच्छर के काटने के 2 से 7 दिन बाद दिखते हैं। मुख्य लक्षण तेज़ बुखार, गंभीर सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द है, इसके अतिरिक्त उल्टी, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, एवं त्वचा पर चकत्ते (रैश) पड़ना है। डेंगू हेमरेजिक फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम इस बीमारी का गंभीर रूप हैं। इस बीमारी का कोई स्पष्ट उपचार नहीं है और न ही इससे बचने के लिए कोई टीका है। इसलिए रोकथाम इलाज से बेहतर है। 


*डेंगू से बचाव के उपाय:-*


एडीज एजिप्टी मच्छर साफ एवं स्थिर पानी में अपने अंडे देती है 


अतः:-


• घर के अंदर टंकी, बाल्टी में एकत्रित पानी को 3 से 4 दिन में खाली कर, सुखाकर फिर पानी से भरे। 


• चिड़िया, गाय, या कुत्तों को पानी पिलाने के बर्तनो एवं सीमेंट की टंकियों को रोज अच्छे से धोकर सूखाकर भरे।


• घर में पानी में लगाने वाले पौधे जैसे मनीप्लांट, कमल आदि न लगाए। 


• घर में करवा चौथ के कर्वे, कूलर, शीशी, टूटे-फूटे बर्तनों, गमले, पुराने टायर आदि में पानी जमा ना होने दें।


• इस्तेमाल के पानी को हमेशा एयर टाइट ढक्कन से अथवा कपड़े से ढक कर रखे।


• इस्तेमाल के पानी की टंकी में प्रति सप्ताह 1/2 कटोरी खाने का तेल अवश्य डाले।


• यदि पानी में लार्वा दिखाई दे तो उसे कपड़े से छानकर, लार्वा को हाथ से मसलकर नष्ट कर दे। 


• एडीज़ मच्छर दिन में काटता है अतः दिन में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग अवश्य करें।


• पूरी बाँह के हल्के रंग के कपड़े पहने।


• खिड़की और दरवाजे पर मच्छरजाली लगाएँ। 


• घर के आसपास स्वच्छता रखें, पानी का भराव न होने दे, खाली प्लाटों पर या घर के आसपास यदि पानी एकत्रित हो तो उसकी निकासी के लिए रास्ता बनावे, मिट्टी से भराव करे अथवा जला हुआ तेल या केरोसिन का छिड़काव करे।


• यदि घर में कोई डेंगू से पीड़ित है, तो सुनिश्चित करें कि उन्हें मच्छर न काटे इस हेतु उन्हें कम से कम 10 दिनों तक 24 घंटे मच्छरदानी में रखे।


• वाशबेसिन सिंक, नालियों जहाँ भी धुलाई-सफाई का कम होता है, वे जगह साफ एवं सुखी रखे|


• कूलर में इस्तेमाल किए जाने वाले खस पेड को प्रतिवर्ष जलाकर नष्ट करे अन्यथा इसमे चिपके हुए अंडों को पानी मिलने पर ये तुरंत लार्वा एवं मच्छर में विकसित हो जावेगे।


• संक्रमित मच्छरों से पैदा होने वाले मच्छरों में जन्मजात संक्रामण फैलाने की क्षमता होती है संक्रमित मच्छर से उत्पन्न अंडे भी संक्रमण योग्य होते हैं तथा इसका नियंत्रण अधिक से अधिक लारवा नष्टकरण द्वारा ही संभव है।


डेंगू का उपचार:-


• बुखार आने की स्थिति में अपनी मर्जी से दवा का सेवन ना करें, चिकित्सक की सलाह पर रक्त की जाँच एवं दवाइयों का सेवन करे।


*प्लेटलेट कम होना कभी भी डेंगू के लक्षण नहीं दर्शाता है किसी भी वायरल संक्रमण में प्लेटलेट कम हो सकते हैं*


 


• *यदि बुखार 102 डिग्री फ़ेरेन्हाइट से अधिक है तो बुखार को कम करने के लिए हाइड्रोथेरेपी (ताजे फलों का रस, नारियल का पानी शिकंजी एवं पल्प पिलाना तथा शरीर पर पानी की पट्टी चढ़ाना) एवं सिर्फ पेरासीटामाल की गोली देवे।*


• *नॉन स्टीरोइडल एंटि-इन्फ़्लमेटरी दवाइयो (NSAIDs) जैसे एस्परीन, आइबुप्रोफिन, नेप्रोक्सिन दवाइयों का उपयोग न करे क्योकि ये शरीर में तेजी से रक्तस्त्राव कर सकती है।*


• डेंगू चार प्रकार के वायरस डेन-1, डेन-2, डेन-3 एवं डेन-4 के कारण होता है| डेंगू संक्रमित व्यक्ति में जिस विषाणु के प्रकार का संक्रामण होता हे उसी प्रकार के विषाणुओं के प्रति प्रतिरोध क्षमता विकसित हो जाती है, किन्तु भविष्य में इस व्यक्ति को अन्य प्रकार के डेंगू विषाणु का संक्रामण होने पर यह अत्यधिक उग्र रूप लेकर बीमारी पैदा करता है।  


*शासकीय संस्थानों में कूलर व पुरानी टंकी कबाड़ में सबसे अधिक डेंगू का लार्वा पलता पाया गया है अतः समस्त संस्था प्रमुख का यह दायित्व होता है अपने अधीनस्थ समस्त संस्थाओं व विभागों में जमा कूलर का पानी सप्ताह में अवश्य साफ करवाएं परिसर में स्थित कबाड़ को उलट कर रख वाय एवं आस-पास पानी जमा न होने दें पानी के लिए उपयोग में ली जाने वाली टंकियों के ढक्कन को पूर्ण तरह ढक के रखें /


*सरकारी विभागो द्वारा की जाने वाली कार्यवाही:-*


• संक्रमित क्षेत्र के व्यस्क मच्छरों एवं लार्वा को नष्ट करने हेतु कीटनाशक एवं लार्वानाशक रासायनिक पदार्थों (पायरेथम तथा टेमीफॉस) के धुएँ का छिड़काव किया जाता है, इस विधि से मच्छर प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर सकते है अतः इसका कम से कम उपयोग किया जाता है।


• लार्वा भक्षी गम्बुशिया मछली को रुके जल में डाला जाता है। यह बेहद प्रभावी, सस्ता तथा पर्यावरण मित्र विधि है इसके विरुद्ध मच्छर कभी प्रतिरोधक क्षमता हासिल नहीं कर सकते है किन्तु इस हेतु सामुदायिक भागीदारी सक्रिय रूप से चाहिए|


• ग्वालियर जिले में डेंगू की मुफ्त एलाईज़ा जाँच की सुविधा माइक्रोबायोलॉजी विभाग, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय; पैथोलॉजी विभाग, जिला अस्पताल मुरार में उपलब्ध है।


• *डेंगू रेपिड कार्ड टेस्ट की प्रामाणिकता संदेहास्पद है।*


  *“आओ आज हम यह प्रण करे की प्रत्येक रविवार को बर्तनों का सूखा दिवस मनाएँ* ताकि डेंगू चिकनगुनिया बीमारी के विषाणु ना पनप सकें। अगर आप अपने घर और आसपास की जगहों पर इन सावधानियों को बरतेंगे तो डेंगू से बचाव आपके लिए आसान हो सकता है 


जिला मलेरिया अधिकारी श्री मनोज पाटीदार ने बताया कि डेंगू से घबरायें नहीं उपरोक्त सावधानियां बरत कर डेंगू मलेरिया से बचा जा सकता है, बुखार आने पर तुरंत शासकीय अस्पताल में जाकर नि:शुल्क जॉच एवं उपचार करायें ।