सामूहिक बलात्कार पीड़िता की नहीं हो रही सुनवाई, दी जा रही है झूठे केस में फंसा देने की धमकी


सामूहिक बलात्कार की पीड़िता की नहीं हो रही सुनवाई, दी जा रही है झूठे केस में फंसा देने की धमक


 सीतापुर 15 जनवरी 20। केंद्र सरकार हो या प्रदेश सरकार हो, राष्ट्रीय नेता हो या क्षेत्रीय नेता हो या फिर कोई छुठ भैया नेता हो। सव की जवानों पर आजकल एक ही नारा देखा जाता है कि "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" माननीय यह नारा देते देखते थकते भी नहीं है। पर जब किसी बेटी के साथ बलात्कार जैसी घटना घटती है तो इन नेताओं के मोहे बंद हो जाते हैं। एवं सरकारें भी कोई उल्टा सीधा बयान देकर अपना पल्ला झाड़ देती हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले का सामने आया है। जहां पर एक नाबालिक लड़की ज्योति मौर्य ( परिवर्तित नाम) के साथ उसके गांव के ही कुछ लड़कों द्वारा मुंह काला किया जाता है। जब पीड़ित परिवार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचता है तो वहां पर कोतवाल साहब द्वारा उल्टा। झूठा केस लगा देने की धमकी दी जा रही है। अब माननीय नेताओं का कहां तक सच होगा यह नारा की "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" दरअसल मामला उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर के अंतर्गत तहसील मिश्रिख थाना मिश्रिख के गांव रामपुरबा का है दिनांक 12/01/2020 शाम के समय जब ज्योति अपने घरेलू काम में व्यस्त थी तो गांव का ही मनु पांडे नाम का लड़का एवं उसके दो-साथी आए और लड़की को पकड़ लिया एवं मोहे में कपड़े ठोस दिए तथा चाकू दिखाते हुए बोले कि अगर तू चिल्लाई तो तेरे मां-बाप को मार देंगे और उठाकर ले गए। जिसके बाद उसके साथ  सामूहिक मुह काला किया गया। जब पीड़िता एवं पीड़ित परिवार द्वारा दिनांक सुबह यनी दिनांक 13/01/202 को थाना मिश्रिख में एक शिकायती आवेदन देकर रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा गया पर रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। जिस पर पीड़िता द्वारा एसपी महोदय को एक आवेदन दिया गया। तो दिनांक 14/01/2020 को पीड़िता को थाने मिश्रिख बुलाया गया। जिस पर पीड़ित परिवार एवं कुछ समाजसेवी भी थाना पहुंचे सुबह लगभग 9-10 बजे जब पीड़ित परिवार द्वारा कहा गया कि साहब हमारी रिपोर्ट दर्ज कर ली जाए। तो कोतवाल साहब के द्वारा कहा गया कि हम आपकी रिपोर्ट अभी दर्ज करते हैं। पर रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।जब पीड़ित परिवार एवं समाजसेवी लोगों के द्वारा बार-बार कहा गया तब जाकर शाम 6:00 बजे पीड़िता के पिता को बुलाया गया और सुलहनामा बनाकर उस पर दस्तखत कराने का दबाव बनाया गया। जब पीड़ित एवं पीड़िता के पिता के द्वारा सुलह करने से साफ मना कर दिया गया तो पीड़ित परिवार को कोतवाल साहब द्वारा झूठे केस में फंसा देने की धमकी दी गई और कहा गया कि यदि तुम सुलह नहीं करोगे तो तुम्हें झूठे केस में ऐसा फंसा दूगा कि पूरी जिंदगी सलाखों के पीछे कट जाएगी। इसलिए हमारा कहा मानो कि आप इस सुलहनामा पर दस्तखत कर दो। पर ऐसा पीड़ित परिवार द्वारा नहीं किया गया। तो कोतवाल साहब ने पीड़ित एवं पीड़ित के पिता तथा समाजसेवियों को थाने से भगा दिया। अब सवाल यह उठता है कि हमारे माननीयों का नारा "बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' कहां तक सही है। क्या ऐसे ही हमारी बेटियां सुरक्षित रहेंगी